Monday, October 7, 2019

पीलिया का इलाज़

पीलिया बीमारी को दूर करें

पीलिया बीमारी को दूर करें पीलिया बीमारी को कैसे पहचानें? पीलिया (वायरल हेपेटाइटिस-ए तथा ई) प्रदूषित जल व भोजन से फैलने वाला संक्रामक रोग है। विषाणुओं के शरीर में प्रवेश करने के 15 से 50 दिनों में इस बीमारी के लक्षण प्रकट होते हैं। पीलिया का मुख्य लक्षण है, भोजन का स्वाद न आना, भूख न लगना, पीले रंग की पेशाब होना, उल्टी लगना या होना, सिर में दर्द होना, कमजोरी और थकावट लगना, पेट के दाहिने तरफ ऊपर की ओर दर्द होना, आंखें और त्वचा का रंग पीला होना आदि है। सभी को इससे नुकसान होता है, लेकिन इससे गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा होता है। उन्हें विशेष सावधानी बहुत जरूरी है। लक्षण दिखने पर क्या करें? तत्काल मेडिकल काॅलेज अस्पताल या निकट के स्वास्थ्य केन्द्र से सम्पर्क कर उपचार शुरू करें। यदि स्वास्थ्य केन्द्र तक जाने में असुविधा हो तो टोल फ्री नम्बर 108, किसी भी फोन से डायल कर निःशुल्क संजीवनी एक्सप्रेस एम्बुलेंस सेवा का उपयोग करें। चिकित्सकीय सलाह व अस्पताल के सम्बन्ध में जानकारी हेतु 104 स्वास्थ्य परामर्श सेवा टोल फ्री नम्बर पर किसी भी फोन से सलाह प्राप्त करें। रोगी को संपूर्ण आराम करने दे, उबला हुआ पानी और बिना तेल, घी, मसाले का सुपाच्य भोजन दे। पीलिया से बचाव जिसमें पीलिया के लक्षण दिखें, उसे तुरंत डाॅक्टरी उपचार शुरू करना चाहिए। बीमारी से बचने के लिए सभी स्वस्थ लोगों को भी सावधानी बरतना चाहिए। इससे बचने के लिए सबसे जरूरी उपाय है, पानी को 20 मिनट तक उबालकर, ठंडा कर पीना चाहिए, या 20 लीटर पीने के पानी में एक क्लोरीन गोली पीसकर डालें एवं 30 मिनट बाद उपयोग करें। शौच के पश्चात् एवं भोजन के पहले हाथ साबुन से धोएं। खुले में रखी, बासी व सड़ी-गली खाद्य सामग्री का सेवन न करें। पीलिया के विषाणु, मरीज के मल के साथ विसर्जित होते हैं, अतः खुले में शौच न करें, न किसी को करने दें। ऐसा होने पर तुरंत मल की सफाई आवश्यक है। बार‘-बार अपने हाथों को साबुन एवं पानी से साफ करें। रक्त, मूत्र अथवा लार से संपर्क होने की स्थिति में, हाथ साफ किया जाना जरूरी है। भेाजन पकाने और खाने के पूर्व, हमेशा हाथ साफ करें। हेपेटाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति द्वारा अन्य लोगों के लिए भोजन नहीं बनाया जाए अथवा परोसा नहीं जाना चाहिए। उसके बचे भोजन को फेंक दें। संक्रमित क्षेत्र में कच्चे भोजन यथा सलाद आदि को उबले पानी से साफ कर धोकर ही प्रयोग करें। कोशिश करें की अच्छी तरह से पका हुआ भोजन ही ग्रहण करें। खुले कुओं से यदि पानी लिया जाता है तो उनमें स्वास्थ विभाग से परामर्श कर पोटेशियम परमैगनेट डालकर जल का संक्र्रमण मुक्त करें। पीलिया काघरेलू उपचार 1.कोकिलाक्ष (छत्तीसगढ़ में मोखला कांटा के नाम से प्रसिद्ध है, हिन्दी में इसे तालमखाना कहते हैं) की हरी पत्तियों का रस (उबालकर) 3-4 चम्मच दिन में दो-तीन बार 3-3 चुटकी भर सेंधा नमक के साथ लें। 2.भूई आंवला पंचांग का रस (खाली पेट में) 3.मूली के हरे पत्ते का रस (खाली पेट में) 4.हरा टमाटर, कालीमिर्च और नमक को मिलाकर घोल बनाकर 5.लौकी के पत्ती का रस (खाली पेट में) 6.जौं का पानी (खाली पेट में) 7.गन्ने का स्वच्छ रस (गन्ने का रस का छोड़कर अन्य सभी का प्रयोग खाली पेट करने पर अधिक उपयोगी) उपरोक्त सभी पीलिया रोग के उपचार में सहायक के रूप मेें प्रयोग किया जाता है। उपरोक्त सभी लीवर को स्वयं ठीक होने में सहायक होते है।

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