Monday, October 7, 2019

टॉन्सिलाइटिस राहत पाएं

टॉन्सिलाइटिस राहत पाएं

टॉन्सिलाइटिस राहत पाएं मौसम बदलते ही गले में खराश होना आम बात है। इसमें गले में कांटे जैसी चुभन, खिचखिच और बोलने में तकलीफ जैसी समस्याएं आती हैं। सामान्यतः लोग गले की खराश को छोटी बात समझ कर उसे अनदेखा कर देते हैं। लेकिन गले की किसी भी परेशानी को ऐसे ही नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये गंभीर बीमारी बन सकती है। क्या है टॉन्सिल्स - टॉन्सिल्स गले के दोनों तरफ पाए जाने वाले बादाम के आकार के अंग हैं। यह शरीर के सिक्युरिटी गार्ड के रूप में कार्य करते हैं जो कीटाणुओं, बैक्टीरिया और वायरस को हमारे गले में जाने से रोकते हैं । ये बाहर से आने वाले किसी भी रोग को हमारे शरीर में अंदर आने से रोकते हैं और बाहर के इन्फेक्शन से हमारी रक्षा करते हैं। अगर टॉन्सिल मजबूत होंगे तो वे बीमारी को शरीर में आने से तो रोकेंगे ही, साथ ही खुद भी उस इन्फेक्शन से बच जाएंगे। जब ये टॉन्सिल्स खुद ही संक्रमित हो जाते हैं, तो इन्हें टॉन्सिलाइटिस कहते हैं। इसमें गले के अंदर के दोनों तरफ के टॉन्सिल्स गुलाबी व लाल रंग के दिखाई पडते हैं। ये थोड़े बड़े और ज्यादा लाल होते हैं। कई बार इन पर सफेद चकत्ते या पस भी दिखाई देता है। टॉन्सिलाइटिस की समस्या यदि लगातार बनी रहे तो इसे ठीक नहीं माना जाता है। किस मौसम में होता है वैसे तो टॉन्सिलाइटिस इन्फेक्शन पूरे वर्ष में कभी भी हो सकता है लेकिन मौसम बदलने के दौरान खतरा ज्यादा रहता है। इन महीनों में बहुत ठंडा-गरम, तीखा आदि न खाएं तो टॉन्सिलाइटिस से बच सकते हैं। किस उम्र में खतरा ज्यादा यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है, लेकिन 14 साल से कम उम्र में इसका खतरा ज्यादा होता है। कैसे होता है - 1.बहुत तेज गर्म खाना खाने से 2.प्रदूषण, धूल-मिट्टी आदि से 3.इम्यून सिस्टम (बीमारियों से लड़ने की क्षमता) कमजोर होने पर 4.ज्यादा मिर्च-मसाले वाला तीखा और तला-भुना खाना खाने से 5.पेट खराब होने से गैस या कब्ज की लगातार शिकायत रहने पर 6.बहुत ज्यादा ठंडा खाने या पीने से, जैसे एकदम ठंडी आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक लक्षण - 1.तेज बुखार 2.थकान 3.कान दर्द 4.आवाज में बदलाव और भारीपन 5.टॉन्सिल्स सूज जाना 6.गले के बाहर सूजन 7.गले में दर्द और सूजन 8.खाने-पीने और निगलने में परेशानी सामान्य उपचारDr.Swastik Suresh अधिकाँश चिकित्सक निम्न उपचार अपनाते हैं - 1.अगर बुखार न हो तो मरीज को बुखार की दवा नहीं देते हैं। 2.गले में दर्द के लिए सिर्फ गरारे करवाते हैं। 3.गले में दर्द के लिए गुनगुने पानी में नमक डालकर मरीज को उसके गरारे करने की सलाह। 4.अगर टॉन्सिलाइटिस बैक्टीरियल इन्फेक्शन से हुआ है तो पैरासिटामॉल और गरारों के साथ एंटी-बायोटिक दवाओं की सलाह। 5.६-७ दिनों में रोगी को आराम हो जाता है और १२-१४ दिनों अधिकाँश रोगी पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। 6.कई बार रोगी दवाईयां लेना शुरू तो करते हैं पर थोड़ा आराम मिलते ही दवाईयां बंद कर देते हैं। इससे फिर से रोग बढ़ने का ख़तरा बना रहता है। रोगियों को तब तक दवाईयां लेनी चाहिए जब तक पूरा कोर्स न ख़त्म हो जाए। ऑपरेशन की सलाह - - अगर साल में तीन से चार बार टॉन्सिलाइटिस हो जाय। - अगर मरीज को बोलने, खाना निगलने में बहुत ज्यादा दिक्कत होने लगे ।

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