Monday, October 7, 2019

एनीमिया का उपचार

एनीमिया का उपचार

एनीमिया का उपचार एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर में खून की कमी होती है। डॉक्टर इसके लिए अनेक दवाएं खिलाते हैं लेकिन अपनी दिनचर्या में आसन-प्राणायाम को शामिल कर आप इस बीमारी से तो मुक्ति पा ही सकते हैं, शरीर को मजबूत भी बना सकते हैं। जब शरीर के रक्त की लाल कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नामक पदार्थ का स्तर सामान्य से नीचे हो जाता है तो उस अवस्था को एनीमिया के नाम से जाना जाता है। जब हीमोग्लोबिन की मात्र कम हो जाती है तो रक्त की ऑक्सीजन वहन करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे उत्साह में कमी, थकान, बदन दर्द, सिर दर्द, चक्कर आना, अरुचि जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। योग के अभ्यास से एनीमिया की समस्या का समाधान सरलता से किया जा सकता है। इस समस्या का मूल कारण मन तथा भावनाओं का असंतुलन है जो अंत में शरीर को कमजोर एवं रोगी बना देता है। योग शरीर, मन एवं भावनाओं को स्वस्थ कर सम्पूर्ण स्वास्थ्य की रक्षा करता है। इसके लिए कुछ यौगिक क्रियाएं हैं जिनका अभ्यास कर आप एनीमिया की समस्या में राहत पा सकते हैं। आसन एनीमिया के रोगी में कमजोरी तथा उदासी के लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। इसलिए उन्हें कठिन तथा अधिक मात्र में आसनों के अभ्यास की सलाह नहीं दी जाती है। इस स्थिति में प्रारम्भ में सूर्य नमस्कार के एक या दो चक्र, वज्रासन, पवनमुक्तासन, मर्करासन, तितली आसन, गोमुख आसन, मण्डूक आसन आदि का ही अपनी क्षमता के अनुसार अभ्यास करना चाहिए। जैसे-जैसे स्थिति में सुधार होता जाए, अभ्यास में धीरे-धीरे धनुरासन, भुंजगासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन जैसे कठिन आसनों को जोड़ा जा सकता है। तितली आसन की अभ्यास विधि दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाइए। फिर, दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर इनके तलवों को आपस में सामने की ओर इस प्रकार सटाइए कि एड़ियां जननेन्द्रिय के पास में या नीचे आ जायें। दोनों हाथों से पैरों के पंजों को दृढ़तापूर्वक पकड़कर घुटनों को जमीन से ऊपर उठाइए और नीचे कीजिए। यह क्रिया सुविधानुसार 25 से 50 बार कीजिए। फिर वापस पूर्व स्थिति में आइए। प्राणायाम एनीमिया के रोगी के लिए सरल कपालभाति के साथ नाड़ीशोधन तथा भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। इसके अभ्यास से शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त पोषण मिलता है। इससे मानसिक शांति तथा एकाग्रता भी प्राप्त होती है। भ्रामरी प्राणायाम की अभ्यास विधि ध्यान के किसी भी आसन में रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। एक दीर्घ श्वास अंदर लेकर कानों को हाथ के अंगूठे या किसी भी अंगुली से सहजता के साथ बंद कर लें। अब नाक या गले से भौंरे जैसी आवाज निकालें। आवाज निकालते समय प्रश्वास नियंत्रित ढंग से बाहर निकलने दें। यह भ्रामरी प्राणायाम की एक आवृत्ति है। इसकी दस-पन्द्रह आवृत्तियों का अभ्यास करें। अन्य उपाय रोज सुबह-शाम टहलने जाएं। प्रात:काल नंगे बदन धूप में बैठें। नियमित रूप से सारे शरीर की मालिश करें। ठंडे पानी से स्नान करें और तौलिये से बदन को इस प्रकार रगड़ें कि त्वचा हल्की लाल हो जाए। प्रतिदिन योगनिद्रा एवं ध्यान करें। नींद भी भरपूर और नियंत्रित होकर लें। मानसिक तनाव और चिंता को विवेक द्वारा दूर करें। आहार गेहूं, चना, मोठ, मूंग को अंकुरित कर नींबू मिलाकर सुबह नाश्ते में खाएं। मूंगफली के दाने गुड़ के साथ चबा-चबा कर खाएं। पालक, सरसों, बथुआ, मटर, मेथी, हरा धनिया, पुदीना तथा टमाटर खाएं। फलों में पपीता, अंगूर, अमरूद, केला, सेब, चीकू, नींबू का सेवन करें। अनाज, दालें, मुनक्का, किसमिस, गाजर तथा पिंड खजूर दूध के साथ लें(कौशल कुमाह,हिंदुस्तान,दिल्ली,6.9.12)।

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