Monday, October 7, 2019

घुटने का दर्द upchar

घुटने का दर्द upchar

घुटने का दर्द स्त्री या पुरुष घुटनों पर हाथ रखकर उठता है तो समझ लेना चाहिए कि वह वृद्ध हो चला है और उसके घुटनों में दर्द बनने लगा है| ऐसी अवस्था में घुटनों के दर्द से बचने के लिए उचित उपचार तथा आहार-विहार का पालन करना चाहिए| कारण - यह रोग घुटनों की हड्डियों में चिकनाई घट जाने के कारण हो जाता है| वृद्धावस्था में हड्डियों में खुश्की दौड़ने लगती है और शरीर में फॅास्फोरस नामक तत्त्व की कमी हो जाती है| इसके अलावा पौष्टिक भोजन का अभाव, मानसिक तनाव व अशान्ति, शरीर में खून की कमी, भय, शंका, क्रोध आदि के कारण भी यह रोग होता है| पहचान - घुटने का दर्द बाएं, दाएं या दोनों घुटनों में हो सकता है| रोगी को बैठने के पश्चात् उठकर खड़े होने में काफी तकलीफ होती है| हवा चलने, ठंड लगने, ठंडी चीजें खाने, जाड़ा, गरमी, बरसात आदि के मौसम में यह रोग बढ़ जाता है| घुटने शक्त हो जाते हैं| उनमें चटखन होती है| कभी-कभी घुटनों में सूजन भी आ जाती है| उपचार - पानी में जरा-सा नमक डालकर गरम कर लें| फिर उस पानी में कपड़ा भिगोकर लगभग 10 मिनट तक नित्य सेंकाई करें| अदरक या सोंठ, कालीमिर्च, बायबिड़ंग तथा सेंधा नमक - सबको बराबर की मात्र में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण की 4 ग्राम की मात्रा शहद के साथ मिलाकर चाटें| घुटनों पर कच्चे आलुओं को पीसकर उनका लेप लगाएं| भोजन में खीरा तथा लहसुन का सेवन नित्य दो माह तक करने से घुटनों का दर्द जाता रहता है| नारियल की कच्ची गिरी पीसकर घुटनों पर लगाएं तथा चबा-चबाकर उन्हें खाएं भी| मेथी का पूर्ण एक चम्मच प्रतिदिन सुबह के समय गरम पानी के साथ सेवन करें| सरसों के तेल में दो चम्मच अजवायन, चार पूती लहसुन, दो रत्ती अफीम तथा एक चम्मच खसखस डालकर लौटा लें| फिर इस तेल को छानकर घुटनों पर मालिश करें| सोंठ का काढ़ा बनाकर उसमें एक चम्मच एरण्ड का तेल मिलाकर रोज सेवन करें| सुबह खली पेट 10 ग्राम अखरोट की गिरी का सेवन करें| लौकी उबालकर उसके पानी से घुटनों को तर करें| नीम की छाल को पीसकर चंदन की तरह घुटनों पर लगाएं| 10 ग्राम गुग्गुल को गुड़ में मिलाकर सेवन करें| बच का चूर्ण आधा चम्मच प्रतिदिन गरम पानी के साथ लें| क्या खाएं क्या नहीं - घुटने के दर्द में केवल ठंडी तथा वायु बनाने वाली चीजों का उपयोग वर्जित है| फलों तथा हरी तरकारियों का सेवन अधिक करें| मट्ठा, चाट, पकौड़े, मछली, मांस, मुर्गा, अंडा, धूम्रपान आदि का सेवन बिलकुल न करें| घुटनों को मोड़कर नहीं बैठना चाहिए| पेट को साफ रखें तथा कब्ज न बनने दें| दूध के साथ ईसबगोल की भूसी का प्रयोग करें| शरीर को अधिक थकने वाले कार्य न करें| प्रतिदिन सुबह-शाम टहलने के लिए अवश्य जाएं|

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